अवधूत मण्डल आश्रम में बाबा सरयूदास जी महाराज के शिष्यों ने आवश्यक सुविधाओं के साथ एक छोटे से मंदिर और छोटे से आश्रम की स्थापना की थी। उसके बहुत समय बाद, आज से लगभग 53 वर्ष पूर्व, स्वामी महेश्वरदेव जी महाराज ने मंदिर तथा आश्रम के साथ सपूर्ण सम्पत्ति का पुनः नवनिर्माण कराया था।
उस समय सभी देवी-देवता जैसे कि गणेशजी, श्री राम-दरबार, श्री राधा-कृष्ण, श्री लक्ष्मी-नारायण, दुर्गा माता, श्री नर-नारायणजी, श्रीयंत्र, भगवान शंकर जी, भगवान हनुमान जी, शिव-परिवार सहित शिव-लिंग तथा विराट स्वरूप भगवान विष्णु जी की मूर्तियों की पुनः स्थापना एंव प्राण-प्रतिष्ठा की गई थी। सभी देवी-देवताओं की मूर्तिंया मन में परम शांति की अनुभूति कराती है।
भगवान हनुमान जी की विशाल मूर्ति के निर्माण की कथा बड़ी अदभुत है। भगवान हनुमान जी की मूर्ति-निर्माण के समय लाखों लोंगो ने कागजों तथा कॉपी-बुको में 1111 लाख (11.11 करोड़) राम-नाम मंत्र लिखे थे। यह सभी कागज तथा कापी-बुको को पवित्र गंगाजल में कई दिनों भिगोया गया। तपश्चात, इसी पवित्र गंगाजल को सीमेंट-बालू में मिलाकर मसाला तैयार किया गया। लाखों लोंगो की श्रध्दा और विश्वास व सहयोग से विधि विधान पूर्वक हनुमान जी की मूर्ति का निर्माण करवाया प्राण प्रतिष्ठा करके स्थापित की गई, तब से ही यह हनुमान मंदिर सिद्ध-पीठ के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
जो भी भक्तजन यहाँ श्रद्धा भाव से आकर श्री हनुमान जी के दर्शन करता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।