अवधूत मण्डल आश्रम में हमेशा ही संत रहते हैं और धार्मिक एंव आध्यात्मिक प्रवृत्तियां करते हैं। ब्राहाण विद्यार्थी संस्कृत की पढ़ाई के लिए रहते हैं और भविष्य में पुजारी तथा कर्मकांडी पंडित बनने के लिए यजुर्वेद के पाठ सीखते है। प्रतिदिन वैतनिक भंडारी संतो और विद्यार्थियों के लिए भोजन बनाते है। वैतनिक गौशाला-कर्मचारी गौशाला को स्वच्छ रखते है तथा संतो और विद्यार्थियों के लिए हमेशा ताजा दूध लाते है। आश्रम की ओर से मंदिर तथा आश्रम के हमेशा के रख-रखाव (मेंटिनेंस) के लिए बिजली-मिस्त्री (इलेक्ट्रिशियन) पलम्बर लकड़ी-मिस्त्री तथा पेंटर से रख-रखाव करार किया गया है।
संत तथा विद्यार्थी अपनी स्वेच्छा से बिना वेतन बाग़ तथा खेतों में सेवा करते है। संत और पुजारी देवी-देवता की पूजा-विधि के लिए ताजे फूल चुन कर लाते है। विद्यार्थी सम्रग स्टाफ के लिए ताज़ी सब्जियां काटते है ओर गौमाता के भोजन के लिए घास काटते है। आश्रम की ओर से आश्रम-सेवा करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मास में एक बार टूथपेस्ट तथा नहाने-धोने के साबुन और प्रचूरण खर्च के लिए नकद-रकम दी जाती है।
दैनिक प्रवृत्ति में ग्रीष्म काल में प्रातः काल 5.00 बजे तथा शीतकाल में प्रातः काल 5.00 बजे दैनिक आरती तथा एक घंटे के लिए रामरक्षा स्त्रोत, विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत, पुरुष सूक्त तथा दुर्गा सप्तशती का पाठ होता है। बाद में विद्यार्थी लघुरूर्द यज्ञ, ललिता सहस्त्रनाम पाठ, मारुत-स्तवन आदि पाठ करते है तथा अन्य आश्रम-सेवा करते है। संत भी अपनी इच्छा अनुसार उसमे सम्मिलित होते है या फिर ध्यान, योग, तपस्या, वाचन, मनन करते है तथा /अन्यथा आश्रम सेवा करते है।
ग्रीष्म काल सायंकाल 7.30 बजे तथा शीतकाल में सायं काल 7.00 बजे दैनिक आरती तथा डेढ़ घंटे के लिए सुन्दर-कांड शिव महिम्न स्त्रोत तथा भजन-कीर्तन होते है। आश्रम की ओर से वर्ष में एक बार अपने अनुयाइयों तथा स्थानीय लोगों के लिए श्रीमद भागवत कथा या शिव महापुराण कथा का आयोजन किया जाता है। सदैव ही पुरे भारत से आये हुए अनुयाइयों तथा अन्य यात्रियों द्वारा अनेक बार श्रीमद भागवत कथा, या शिव महापुराण कथा का आयोजन किया जाता है। वर्ष में 5 बार जैसे की, हनुमान-जयंती, गुरु-पूर्णिमा, स्वामी गोपालदेव की पुण्यतिथि, स्वामी सत्यदेव जी का जन्मदिन तथा पुण्यतिथि पर आश्रम की ओर से 500 से 1000 संतो तथा स्थानीय लोंगो के लिए भंडारा (भोजन) का आयोजन होता है। स्वामी जी की प्रेरणा से आश्रम के अनुयाइयों तथा भक्तो की ओर से आश्रम में अनेक बार 200 से 500 संतो का भंडारा होता है। इन भण्डारो में आश्रम के अनुयाइयों तथा भक्तो की ओर से प्रत्येक संत एंव विद्यार्थी, ब्राम्हणो और जरूरतमंद गरीबो को वस्त्र-दान तथा नकद दक्षिणा दी जाती है।
In Avdhoot Mandal Ashram [AMA] there is always saints are stay and doing Religious & Spiritual daily activities. The 15 to 20 students are stay for study of Sanskrit and learn the lesson of Yajurved to become a priest and other religious activities for their future. The paid cook is preparing food daily for saints and students. The paid Sweeper makes Ashram neat & clean. The paid servants make Goushala [Cow shed] neat & clean and took fresh milk for saints and students daily. Ashram has done Maintenance Contract with Electrician, Plumber, carpenter and Painter for regular Maintenance work of Temple & Ashram.
Saints and Students are giving their honorary service [SEVA] for gardening and farming. Saint and Priest are collecting fresh flowers from garden for daily Puja-Vidhi of gods & goddesses. Students are cutting fresh vegetables for entire staff and cutting grass for the food of cow. Ashram provides Toothpaste and Soaps once in a month and a few amounts for monthly miscellaneous expenses to each & every parsons who make Ashram-Seva honorary.
As a daily activity, in the morning at 5.00 AM daily Aarti in summer & at 5.30 AM daily Aarti in winter with various Paths like Ram Raksha Stotra, Vishnu Shahstranam Stotra, Purush Shukta, and Durga Saptsati Path for one hour. Then the students are doing Laghu-Rudra Yagna, Lalita Shahstranam Path, Maruti-Stavan etc and/or Ashram-Seva. Saints are also joining with them or doing their Owen Meditation, Yoga, Tapashya, Reading, Thinking etc and/or Ashram-Seva.
In evening at 7.00 PM daily Aarti in winter & at 7.30 PM daily Aarti in summer with various paths like Sunder-Kand, Shiv-Mahimna Stotra and Bhajan-Kirtan for one & half hour.
The Shri-Mad-Bhagvat Katha or Shiv-Mahapuran Katha is organizing one time in a year by Ashram for followers and local people.
There are lots of Shree-Mad-Bhagvat Katha, Shiv-Mahapuran Katha, Laghu-Rudra Yagna, Maha-Rudra Yagna etc always organizing by followers and other tourist of the entire India.
Ashram arrange the Lunch [BHANDARA] of 500 to 1000 Saints and local people for five times during the year on Hanuman-Jayanti, Guru – Purnima, Death anniversary of Swami Gopaldevji, Death anniversary of Swami Satyadevji and Birthday of Swami Satyadevji.
There are lots of Lunches [BHANDARA] for 200 to 500 Saints arrange by followers & devotees of Ashram with inspiration of Swamiji. In this Lunches [BHANDARA] followers & devotees of Ashram give the cloths & cash donation to each & every Saint.